Saturday, April 3, 2021

Mahadevbera Jargo (Navkunj) P.o- Kukru seraikela (Jharkhand)


नवकुँज धाम कुकडु प्रखण्ड महादेव बेड़ा, जारगो, प्रखण्ड-कुकरु, सरायकेला-खरसवाँ(झारखण्ड) का एक बहुत ही प्रचलीत प्राचीण मंदिर है इस मंदिर की व्याख्यता दूर-दूर तक फैली हुई है इस मंदिर में एक शिव जी का प्राचीण शिवलिंग स्थापित है -
पौराणिक कथा अनुसार एक समय की बात है एक चरवाहा इस स्थान पर अपने गायो को चराने के लिए यहा आया करता था उसने इस बात पर ध्यान दिया के वहां एक गाय प्रत्येक दिन एक स्थान पर अपने थन से दूध देती थी जब चरवाहे ने इस बात की पड़ताल की तो उसने देखा कि वहां एक शिव लिंग स्थित है । जिसके पश्चात वहां बहुत से लोगो के द्वारा उस शिवलिंग को वहां से अन्यत्र व्यवस्थापित करने का प्रयास किया गया लेकिन वे असफल रहे जिसके बाद सभी गांव वालो ने मिलकर एक भव्य शिव मंदिर बनावाया जिसे आज हम महादेवबेड़ा के नाम से जानते है।
यह बहुत ही चमतकारी शिवलिंग है यहां बहुत से लोग अपने मिन्नत मांगने आया करते हैं । और साथ ही अपने और अपने परिवार जनो की मंगल कामना करने के लिए भगवान शिवजी से कामना करते है।
इस मंदिर के परांगन में ही एक राधा कुंज स्थित है और इसके साथ ही राधा जी की अष्ठ सखाओं रंगदेवी, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चंपकलता, चित्रा, तुंग विद्या व इंदुलेखा के निवास स्थान हैं। और इसके अलावा इस परांगण में ही एक महाबलि हनुमान जी की भी निवास स्थान है। प्रत्येक कुंज अपने आप में एक अलग ही खुबसूरती बटोरी हुई है जो कि इस धाम की खुबसूरती में चार चांद लगा देती है।
यह धाम अपने आप में प्रकृति की एक अद्भुत देन है चारो तरफ वनों, जंगलो, नदियों पर्वतो से घिरी हुई इसकी मनमोहक दृश्य लोग अपने कैमरो में कैद करने से नहीं चूकते है।

यहां सैलानी खासकर होली के पर्व में बहुत मात्रा में एकत्रित होते है और हो भी क्यो नहीं इस होली के पर्व में इस धाम एक विश्वविख्यात नवकुंज हरिनाम संर्कितण का आयोजन होता है और इस पर्व का लोग पूरे वर्ष बेसब्री के साथ इंतजार करते है इस संर्कितण का आयोजन बहुत ही धूम-धाम के साथ होता है इस समय इस धाम का रंगो रोहन किया जाता है तथा इसे विभिन्न प्रकार के रोशनी बल्बो के द्वारा प्रकाशमय कर दिया जाता सैलानी सैकड़ो किलोमीटर की दूरी से इस धाम में इस कृतण में सम्मलित होने आते है तथा यहां के कृतण 'हरे कृष्ण हरे कृष्ण ' सुनकर मंत्र मुग्ध हो जाते है। इस कृतण का आयोजन 9 दिनों तक किया जाता है जिसमें 54 कृतण पार्टियाँ 9 दिनो तक एक लगातार 9 मंदिरों में कार्य करते है कारण बहुत ही कुशल में कृतण पाटियाँ एकत्र होते है और अपने मधुर संगित से सबका मन मोह लेते है इसके प्रारंभ दिन को गंधादिवस कहा जाता है तथा अंतिम दिवस को धूलोट कहा जाता है धूलोट के दिन 'राखाल' भोग का आयोजन किया जाता है जिसे पाने के लिए लोग एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं, तथा इस दिन लोग धूम धाम के साथ अबीर की होली खेलते है पूजा अर्चना करते है तथा कहते कि 'आसछे बोछोर आबार होबे' अर्थात आने वाले साल इस कृतण का आयोजन फिर से किया जायेगा।
यह कृतण पूरे भारत में खासकर झारखण्ड तथा पश्चिम बंगाल के सरायकेला, राँची, चाइबासा, पुरूलिया, के क्षेत्रो में बहुत प्रचलित है लोग इस कृतण को एक पर्व की तरह मानाया जाता है , इस समय यहां सैलानियों का सैलाब उमड़ पड़ता है हजारों की संख्या में यहां जुटकर कृतण का आनंद लेते है। और इसके साथ वे यहा खरीदारी करने के लिए भी आते है क्योकि इस समय एक भव्य मीना बाजार भी आते है जिससे इस ग्रामीण इलाके में भी लोग अच्छे अच्छे सामान की खरीदारी कर सकते है। तथा तरह-तरह की झूले भी आते है जो कि बच्चों के मन को खूब मोहता है।
इसके साथ ही यहां हर पर्व में सैलानियो की तांता लगा रहता है मैं इस लेख का लेखक आप सभी पाठक से विनम्र निवेदन करता हूँ कि इस धाम में आप जरूर से जरूर पूजा अर्चना करने के लिए पधारे तथा यहां की खूबसूरती का आनंद ले ।
धन्यवाद 
https://www.facebook.com/navkunjmahadevbera for more information

Mahadevbera Jargo (Navkunj) P.o- Kukru seraikela (Jharkhand)

नवकुँज धाम कुकडु प्रखण्ड महादेव बेड़ा, जारगो, प्रखण्ड-कुकरु, सरायकेला-खरसवाँ(झारखण्ड) का एक बहुत ही प्रचलीत प्राचीण मंदिर है इस मंदिर की व्या...